क्लोन कॉल स्कैम : A.I. बना साइबर अपराधियों का हथियार

आजकल साइबर ठग नए नए तरीकों को ढूंढ कर साइबर अपराध कर रहे हैं। पहले साइबर अपराधी सोशल मीडिया के अकाउंट हैक करके या डुप्लीकेट अकाउंट बनाकर परिचितों से परेशानी बता कर पैसों की मांग करते थे। लेकिन अब इन्होंने ए.आई. टूल (Artificial intelligence) का इस्तेमाल करके डीप फेक स्वैपिंग से ठगी करने का नया तरीका निकाल लिया है।

हाल ही में साइबर अपराधियों ने डीप फेक स्वैपिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके लाखों की ठगी की है। इस टेक्नोलॉजी के प्रयोग से ऐसा फर्जी कंटेंट बनाया जाता है, जिसकी पहचान करना कठिन होता है। किसकी डुप्लीकेट आवाज तथा आर्टिफिशियल चेहरा क्रिएट कर लिया जाता है। जिसमें साइबर अपराधी सामने वाले को 🙊 बनाकर पैसों की मांग करते हैं।

फेक/ क्लोन कॉल स्कैम का मामला

हाल ही में ऐक मामला लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके से आया है। जहां पर आशीष नामक व्यक्ति से साइबर ठगों ने उसका दोस्त बनकर बात की और कहा कि उसे इमरजेंसी है। उसे डेढ़ लाख रुपए की जरूरत है। यह कॉलिंग साइबर ठग ने डीप फेक स्वैपिंग टेक्नोलॉजी के माध्यम से की। जिसमें उन्होंने उसके दोस्त की नकली आवाज और एआई (AI) के माध्यम से नकली चेहरा बनाकर वीडियो कॉल की, जो महज कुछ सेकंड की थी। जिससे कि आशीष को ठग पर विश्वास हो गया कि वह उसका दोस्त है।

लेकिन मामला तो तब खुला जब उसने रुपए ट्रांसफर करके, बाद में अपने दोस्त को वॉइस कॉल करके पूछा कि उसको क्या इमरजेंसी पड़ गई। उसके बाद सारी बात खुल गई। जब साइबर अपराधी ने आशीष का दोस्त बनकर वीडियो कॉल की तो सिर्फ यह बात कहकर फोन काट दिया था कि बहुत इमरजेंसी है, जल्द से जल्द पैसे ट्रांसफर कर दें। लेकिन जब बाद में वॉइस कॉल पर आशीष की अपने दोस्त से बात हुई तो सारा मामला खुला।

क्या है वीडियो कॉल की डीप फेक स्वैपिंग टेक्नोलोजी

एसपी साइबर क्राइम प्रोफेसर त्रिवेणी सिंह ने आज तक को बताया कि ऐसी घटनाएं सुनने में आ रही हैं। अब अपराध का तरीका बदल रहा है। इस प्रकार की घटनाएं खासकर साउथ तथा करेला से आ रही हैं। लेकिन अब हाल ही का ताजा केस लखनऊ से आया है। जिससे पता चलता है कि साइबर अपराध उत्तर प्रदेश में भी पैर पसार रहा है। आजकल साइबर ठग सहकर्मी बनकर या कोई परिचित बनकर उन लोगों के पास कॉल करते हैं जिनसे और जिनके नाम पर ठगी करनी होती है।

ठग AI के इस्तेमाल से अपने शिकार की आवाज को क्लोन कर लेते हैं। इस प्रकार की कोई App तो आपने भी शायद देखी होगी, जिससे फोटो को ही गाना गाते हुए या बोलते हुए शॉर्ट वीडियो में बदला जा सकता है। ठग अपने शिकार के फोटो या वीडियो से AI के सहारे अपनी जरूरत के अनुसार वीडियो create कर लेते हैं। फिर क्लोन आवाज और फर्जी वीडियो से कुछ सेकेंड का वीडियो कॉल करके कॉल काट देते हैं। तब तक लोगों को विश्वास हो जाता है कि वह उनके जानने वाले ने ही कॉल किया है। कभी-कभी ठग ‘क्लोन वॉयस कॉल’ भी करते हैं। इस प्रकार लोग ठगे जा रहे हैं।

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कैसे बचें क्लोन कॉल ठगी से

  • प्रोफेसर त्रिवेणी बताते हैं कि जब इस प्रकार की कॉल आए तो पहले स्थिर हो जाएं, हडबडायें नहीं।
  • जिस व्यक्ति ने वीडियो कॉल की है, उस समय ध्यान से सामने वाले व्यक्ति को देखें। जब ए.आई. से वीडियो कॉल की जाएगी तब उसके फेस और बोलने के एक्सप्रेशन बनावटी नजर आएंगे। अगर ध्यान से देखेंगे तो हाव-भाव पकड़ में आ जाएंगे।
  • जिस व्यक्ति ने पीड़ित बनकर आपके पास कॉल की है। उसके जानने वाले से क्रॉस वेरीफाई करें कि क्या वह सच/वाकई में ही मुसीबत में है।
  • जिस परिचित के नाम से कॉल आए, उसके पास अपने कांटेक्ट लिस्ट के नंबर से कॉल करके वेरीफाई करें।
  • जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें। पैसे तो हमेशा सामने वाले की पहचान से संतुष्ट होकर ही दें।

इन उपाय के माध्यम से फ्रॉड कॉल करने वाले को पकड़ा जा सकता है। इसके साथ ही हमारी सलाह है की ऐसी खबरों की जानकारी रखें और हमेशा सतर्क रहें।


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