भारतीय रेलवे के इलेक्ट्रिक TRD विभाग के कार्य और प्रोफाइल

दोस्तों भारतीय रेलवे में बहुत से विभाग काम करते हैं।आज हम उनमें से एक इलेक्ट्रिक विभाग के TRD के बारे में बात करेंगे। इस पोस्ट में, मैं आपके साथ TRD डिपार्मेंट की भूमिका, कार्य, विभिन्न पद, भर्ती प्रक्रिया, पदोन्नतियां (Promotions) और TRD स्टाफ के कार्यों के बारे में जानकारी साझा करूंगा।

TRD (TrD) की फुल फॉर्म : Traction Rolling Distribution/ Traction Distribution.

TRD विभाग की भूमिका

ट्रेक्शन डिस्ट्रीब्यूशन विभाग या TRD Department भारतीय रेलवे में अहम रोल अदा करता है। इसके बिना हम इलेक्ट्रिक इंजन के दौड़ने की कल्पना नहीं कर सकते हैं। अगर आज भारत, वंदे भारत जैसी सुपर क्लास रेल को चला पा रहा है, तो इसमें TrD विभाग का अहम रोल हैं।

भारतीय रेल की पटरी पर जिस विद्युत ऊर्जा से इलेक्ट्रिक इंजन चलते हैं, उससे संबन्धित सारा ढांचागत और तकनीकी प्रबंधन और उसकी देख-रेख TRD विभाग करता है।

इस विभाग के माध्यम से ही भारतीय रेल प्रदेश की विद्युत वितरण कंपनियों से बिजली लेता है। इस विभाग के अंतर्गत सब स्टेशन, SP, SSP आदि आते हैं, जो बिजली के वितरण का प्रबंधन करते हैं (इनके विषय में हमने आगे बताया है)।

TRD विभाग के काम (Work Profile)

विभाग का मुख्य काम यह होता है कि किसी भी स्थिति में विद्युत सप्लाई में कोई बाधा ना आए। 24 घंटे रेल को अबाधित बिजली मिलती रहे। इसके लिए TRD स्टाफ रोज ड्यूटी पर होता है और अपने शेड्यूल अनुसार रखरखाव कार्य करता है। इसके अलावा कोई भी फॉल्ट आने की स्तिथि में त्वरित कार्यवाही करनी होती है।

TRD डिपार्टमेंट का मुख्य कार्य OHE (Over Head Equipments) की देखभाल का होता है। OHE को सरलता से समझें तो इसका मतलब उन सभी उपकरणों और प्रबंधों से है, जो रेल ट्रैक पर चलते हुए ट्रेन से ऊपर होते हैं। इसके कार्यों में विद्युत सप्लाई वाली मुख्य तार, इस मुख्य तार को सहारा देने वाली कैटेनरी वायर, उसके पोल (Pole) और सभी संबंधित प्रबंध तथा रेलवे पटरी की अर्थिंग (earthing) आदि की उचित व्यवस्था और रखरखाव आदि आते हैं।

Image showing TRD staff working in section and tower wagon, pole, contact wire & catenary wire.
TRD स्टाफ कार्य करते हुए

प्रमुख कार्य निम्न होते हैं

  • क्षेत्र (Section) की पेट्रोलिंग करना, जिससे कि पता लगाया जा सके की तार में कोई त्रुटियां या Fault तो नहीं।
  • समय-समय पर पोल या मास्ट (ट्रांसमिशन लाइनों के खंबे) को चेक करना, जिसे विभाग की भाषा में IOH और AOH बोलते हैं।
  • तार और पोल के क्षेत्र में या उसके आसपास किसी बाहरी वस्तु को न आने देना। अगर लगता है कि वह वस्तु वायर या पोल को हानि पहुंचा सकती है, तो उसको हटाना।
  • क्षेत्र (Section) में पेड़ों की ट्रीमिंग करना या काटना, जिससे वो लाइन तक ना पहुंच सकें।
  • ट्रेक्शन सबस्टेशन, एसपी (SP) और एसएसपी (SSP) की देखरेख (maintenance) करना।
  • तार के आसपास किसी दूसरे डिपार्टमेंट को आकर काम करना है, तो उनको लाइन की विद्युत सप्लाई को बंद करके सुरक्षित समय देना या रेल की भाषा में ब्लॉक देना या PTW (Permit to Work) देना।

कार्य संस्कृति

सामान्य तौर पर TRD में 8 घंटे की ड्यूटी होती है। जो की सामान्यतः 9:00 AM से 5:00 PM की होती है। लेकिन काम ब्लॉक के ऊपर निर्भर करता है, इसलिए अगर दिन में ब्लॉक नहीं मिलता तो रात में काम करना पड़ता है। नाइट ड्यूटी 10 PM से 6 AM होती है। कहीं पर 24 घंटे शिफ्ट में ड्यूटी चलती है, तो कहीं पर यह शिफ्ट में ना होकर 24 घंटे में 8 घंटे की नॉर्मल ड्यूटी होती है। लेकिन 8 घंटे की ड्यूटी करने के बाद अगर इमरजेंसी कोई काम पड़ता है तो वह 8 घंटे की ड्यूटी के बाद भी अटेंड करना होगा। दिन या रात किस किसी भी वक्त। ज्यादातर हेल्पर/ टेक्नीशियन आदि कर्मचारी की ड्यूटी 8 घंटे की होती है़। लेकिन आपातकालीन स्थिति होने पर किसी भी वक्त बुलाया जा सकता है। वहीं सुपरवाइजर (JE/ SSE) के कोई ड्यूटी के घंटे तय नहीं होते हैं। इन्हें अपनी सामान्य ड्यूटी के अलावा भी 24 घंटे ही एक्टिव रहना होता है।

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TRD संबंधित टेक्निकल परिभाषायें

भारतीय रेलवे में 25 KV ट्रेक्शन सिस्टम (Traction System) काम करता है। जिस वायर के माध्यम से इलेक्ट्रिक इंजन चलते हैं, उसमें 25 KV विद्युत होती है। विभाग की कुछ महत्वपूर्ण परिभाषा हैं जो इस प्रकार है-

RTSS (Railway Traction Sub Station)

इसका काम राज्यों की प्रदेश सरकार की विद्युत वितरण कंपनियों से उच्च विभव की बिजली लेकर निम्न विभव में बदलकर रेल को देना है। जैसे- यह 133 KV या 220 KV से 25 KV में बदलकर रेलवे के उपयोग में लाता है

SP (Sectioning Post)

सेक्शनिंग पोस्ट का काम दो रेलवे ट्रेक्शन सबस्टेशन की सप्लाई को अलग करना होता है। आमतौर पर 50 से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित किए जाते हैं तथा एक सब स्टेशन के फेल होने पर अगले क्षेत्र (Section) को चार्ज करके या फील्ड एक्सटेंड करके रेलवे इंजन को चलाने का काम करता हैं।

SSP (Sub Sectioning and Paralleling Post)

SSP का काम एक बड़े क्षेत्र को छोटे-छोटे क्षेत्रों में अलग करना होता है। इसकी मदद से छोटे क्षेत्रों में बिजली कट करके रख रखाव का काम करने में सहायता मिलती है।

ऑक्सिलरी ट्रांसफार्मर AT (Auxilury Transformer)

ये स्टेशन एरिया में होते हैं। इनकी रेंज 10 केवीए KVA से 25 केवीए KVA तक होती है। यह स्टेशन मास्टर के लिए 24 Hours बिजली (Electricity) उपलब्ध कराने का काम करते हैं।

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TRD डिपार्टमेंट में स्टाफ

टी.आर.डी. विभाग में वैसे तो बहुत सा स्टाफ होता है। लेकिन यहां हम मुख्य स्टाफ की बात करेंगे। जो स्टाफ किसी डिपो को चलाने के लिए मुख्य होता है। यहां दो प्रकार के स्टाफ होते हैं, एक होता है मिनिस्टीरियल (ministerial) और दूसरा होता है टेक्निकल (technical) स्टाफ। Ministerial के अन्तर्गत क्लर्क, स्टोर कीपर और चपरासी काम करते हैं। टेक्निकल स्टाफ के अन्तर्गत सभी टेक्निकल अधिकारी, सुपरवाइजर और अन्य कर्मचारी आते हैं। जिसमें हेल्पर या असिस्टेंट से लेकर Sr.DEE तक का स्टाफ है।

टेक्निकल स्टाफ के पद इस प्रकार हैं :

Assistant > Tech-III > Tech-II > Tech-I > MCM > JE > SSE > ADEE > DEE > Sr.DEE

कर्मचारी को मिलने वाली सुविधायें

TRD विभाग में रेलवे के अन्य कर्मचारियों की तरह ही सुविधाएं मिलती हैं। इन्हें निम्नलिखित सुविधा प्राप्त होती हैं-

यात्रा के लिए पास

सरकार द्वारा रेलवे के कर्मचारियों को (पति/पत्नी व बच्चों को भी) रेलवे में यात्रा करने के लिए पास दिए जाते हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के पास होते हैं। कुछ फ्री टिकट के लिए मान्य होते हैं और कुछ में ticket price में छूट मिलती है।

मेडिकल सुविधा

रेलवे कर्मचारियों को (पति/पत्नी व बच्चों सहित) रेलवे के अस्पताल में फ्री इलाज की सुविधा दी जाती हैं। अगर वहां पर इलाज संभव नहीं है, तो रेलवे से संबंध रखने वाले प्राइवेट अस्पतालों में होने वाले खर्च का वहन रेलवे करती है।

बच्चों की ट्यूशन फीस

रेलवे के कर्मचारी को अपने बच्चों की ट्यूशन फीस के रूप में कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक ट्यूशन फीस दी जाती है। यह सुविधा कर्मचारियों के दो ही बच्चों पर लागू होती है। समय-समय पर दिए जाने वाली ट्यूशन फीस महंगाई और वेतन आयोग के अनुसार संशोधित होती रहती है।

छुट्टियां (Leaves & Holidays)

रेलवे के सभी तकनीकी विभागों में भी हफ्ते में एक रेस्ट मिलता है। इसके अलावा सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार के अवकाश दिए जाते हैं जैसे- C.L (Ceasul Leave), LAP ( Leave On Average Pay), HLAP (Half Leave On Average Pay), NH ( National Holiday) आदि।

CL (Casual Leave)

इन छुट्टियों को आकस्मिक छुट्टी के रूप में प्रयोग किया जाता है इनकी संख्या 10 होती है।

LAP (Leave On Average Pay)

यह छुट्टी हर महीने अर्जित की जाती है। यह साल में दो बार जनवरी और जुलाई में 15-15 करके कर्मचारियों के अकाउंट में क्रेडिट की जाती हैं। इनकी कुल संख्या 30 होती है।

HLAP (Half Leave On Average Pay)

इन छुट्टियों को सिक लीव (Sick leave) भी कहा जाता है। यह साल में 20 दी जाती हैं। जब भी कर्मचारी बीमार हो जाता है। तो डॉक्टर की सलाह के आधार पर इन छुट्टियों को लिया जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर की परमिशन होनी जरूरी होती है।

NH (National Holiday)

सरकार द्वारा राष्ट्रीय त्योहारों जैसे-15 अगस्त, 26 जनवरी, गांधी जयंती आदि की छुट्टी भी स्टाफ को दी जाती हैं। अगर स्टाफ राष्ट्रीय त्योहार में कार्य करते हैं। तो इसके लिए अलग से अतिरिक्त पेमेंट की जाती है।

TRD विभाग में अगर किसी डिपो में पर्याप्त स्टाफ है, तो वहां पर छुट्टी आसानी से प्राप्त की जा सकती है। लेकिन अगर किसी डिपो के अंदर स्टाफ की शॉर्टेज या कमी है, तो वहां पर छुट्टी लेने में थोड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

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रेलवे TRD विभाग में भर्ती प्रक्रिया

विभिन्न पदों पर कर्मचारियों की भर्ती के लिए रेलवे समय समय पर विज्ञापन निकालता है। अभ्यर्थियों से ऑनलाइन आवेदन मांगे जाते हैं। जिसके बाद ऑनलाइन परीक्षा और किसी पद के लिए जरूरी फिजिकल और मेडिकल परीक्षण के आधार पर योग्य अभ्यर्थियों का चयन किया जाता है।

सामान्यतः रेलवे के विभिन्न विभागों के लिए एक साथ भर्तियां निकाली जाती हैं। भर्ती प्रक्रिया के दौरान अभ्यर्थियों को अपनी पसंद अनुसार विभागों का चयन करने का अवसर मिलता है। जिनमें से मेरिट और उपलब्ध रिक्तियों के आधार पर विभाग आवंटित किए जाते हैं।

TRD में प्रोमोशन (Promotions)

Image for representing promotion opportunity

प्रोन्नति की बात करें तो SSE, सीनियर डी.ई.ई (Sr DEE) तक की प्रोन्नति पा सकता है। वहीं JE (Junior Engineer) की भी Sr.DEE तक की प्रमोशन पा सकता है। एक टेक्नीशियन (Technician) सामान्य प्रमोशन SSE तक तथा डिपार्टमेंटल परीक्षा देकर ADEE तक प्रमोशन पा सकता है।

असिस्टेंट/ हेल्पर (Group-D/ Level-1) के कर्मचारी 3 साल की सर्विस के बाद टेक्नीशियन के लिए योग्य हो जाते हैं। लेकिन प्रमोशन विभाग द्वारा मांग के आधार पर ही होते हैं। जिसके कारण योग्य होने के बाद भी प्रमोशन में समय लग सकता है। टेक्नीशियन बनने के बाद यह आगे SSE तक प्रमोशन पा सकते हैं। उसके बाद भी यदि शैक्षिक योग्यता है, तो विभागीय परीक्षा देकर ADEE तक भी संभावना होती है।


FAQ : अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

रेलवे के TRD Department में सैलरी कितनी है?

रेलवे में सैलरी विभाग के आधार पर नहीं बल्कि पद और सेवा में वरिष्ठता के आधार पर तय होती है। रेलवे के TRD विभाग (और अन्य तकनीकी विभागों में भी) में असिस्टेंट/हेल्पर का बेसिक वेतन 18000 है। Basic Pay के अलावा TA, DA, HRA आदि मिलकर कुल सैलरी 30000 के लगभग होती है। ऐसे ही Tech-III की बेसिक पे 19,900, Tech -II की 25,500 व Tech-I की 29,200 है।
पद के साथ वेतन बढ़ता जाता है। साथ ही सेवारत कर्मचारी के लिए प्रत्येक वर्ष सैलरी में increment होता है। जिससे एक ही पद पर रहते हुए भी हर वर्ष सैलरी बढ़ती जाती है।


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