रेलवे विद्युत लाइन का तार और पैंटोग्राफ कैसे काम करते हैं और क्यों नहीं घिसते, Real fact in Hindi

भारतीय रेलवे की विद्युत ट्रेनें चलाने के लिए उनको विद्युत सप्लाई जिस तार के द्वारा दी जाती है, वह लगातार रगड़ के बाद भी क्यों नहीं घिसता? इसकी बिल्कुल सही, तथ्यात्मक और पूरी जानकारी आपको इस पोस्ट में मिलेगी।

रेलवे के विद्युत ट्रेनें चलाने के लिए पटरी के ऊपर ऊपर समानांतर रूप से लगे हुए तारों को ओवरहेड वायर (Overhead wire) या ओवरहेड इलेक्ट्रिसिटी वायर (OHE wire) भी कहते हैं। इसकी पूरी तकनीक और सिस्टम को समझने के लिए आइए कुछ टेक्निकल शब्दों और असेंबली को समझने से शुरुआत करते हैं।

पैंटोग्राफ (Pentograph)

Pentograph

यह इलेक्ट्रिक लोको (विद्युत ट्रेन का इंजन) की छत पर लगा वह उपकरण होता है, जिसकी सहायता से ऊपर लगे तार (overhead electricity wire) से करंट इकट्ठा करके लोको को दिया जाता है। इसमें एक लंबी कार्बन स्ट्रिप होती है, जो मुलायम तथा विद्युत (Electricity) की अच्छी चालक होती है। पैंटोग्राफ की पूरी असेंबली इंसुलेटर की सहायता से लोको (Loco) की बॉडी से अलग रहती है। पैंटोग्राफ को स्प्रिंग तथा एयर प्रेशर की सहायता से auto moveable बनाया जाता है। जिससे कि वह ऊपर गुजर रही तार के ऊपर नीचे होने पर एडजस्ट हो सके।

ओवरहेड विद्युत तार (OHE wire)

यह वह तार है जो रेल की पटरी के ऊपर-ऊपर चलती है और जिसमें से विद्युत सप्लाई लेकर विद्युत ट्रेन चलती है। रेलवे की ओवरहेड लाइन में दो तरह की तार होती हैं जो समानान्तर ऊपर नीचे चलती हैं। ऊपर वाले तार को कैटेनरी वायर बोलते हैं, जिसमें पतली पतली तारें मिलकर एक मोटी तार का निर्माण करती हैं। उन पतली पतली तारों को स्ट्रैंड कहते हैं। ऊपर वाली तार से हैवी करंट के वहन और नीचे वाली तार को समानांतर लेवल पर रखने में सहायता मिलती है।

Contact wire – नीचे वाली तार

नीचे वाली तार को कॉन्टैक्ट वायर कहते हैं। पूरे सिस्टम में इस नीचे वाली तार (contact wire) का अहम रोल होता है। रेलवे इंजन का पैंटोग्राफ इसी तार से संपर्क रखता हुआ चलता है। कांटेक्ट वायर का निर्माण विशेष प्रकार के डिजाइन में किया जाता है। इसको पूरा गोल ना बनाकर इसमें इस प्रकार से ग्रुव बनाया जाता है, जिससे कि इसे कंटीलीवर असेंबली द्वारा ऊपर से पकड़ कर रखा जा सके।

स्टैगर (Stagger) / लड़खड़ाहट

Stagger – Zig zag of railway OHE contact wire

ओवरहेड लाइन के दोनों तार पटरी के समानांतर बिल्कुल सीधे नहीं चलते हैं। पटरी की दिशा में बिल्कुल सीधे चलने की बजाय यह तार कुछ टेढ़े मेढ़े (zig-zag) होते हुए चलते हैं। तारों की इस जिग-जैग पोजीशन को बनाए रखने को स्टैगर (लड़खड़ाहट) कहा जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि कांटेक्ट वायर लगातार पैंटोग्राफ पर एक ही जगह संपर्क में ना रहे। स्टैगर (stagger) एक इंग्लिश शब्द है, जिसका हिंदी मीनिंग लड़खड़ाहट / लड़खड़ाकर चलना या विचलन होता है।

रेलवे विद्युत लाइन का तार और पैंटोग्राफ क्यों नहीं घिसता

ऐसा नहीं है कि रेलवे की विद्युत लाइन (ओवरहेड लाइन) का तार और इलेक्ट्रिक लोको के ऊपर लगा पैंटोग्राफ बिल्कुल नहीं घिसता। किसी भी रेलवे लाइन पर एक के बाद एक लगातार ट्रेनें चलती रहती हैं। विद्युत इंजन के पैंटोग्राफ से लगातार रगड़ते रहने से ओवरहेड तार (OHE wire) धीरे-धीरे घिसता है और इंजन के ऊपर लगे पैंटोग्राफ की कार्बन स्ट्रिप (जो तार के संपर्क में रहती है) भी धीरे-धीरे घिसती रहती है।

लेकिन तार और पैंटोग्राफ कम से कम घिसे, इसके लिए कुछ खास प्रावधान किए जाते हैं। रेलवे के इन्हीं नीचे दिए गए कुछ खास प्रावधानों की वजह से तार और पैंटोग्राफ ना के बराबर घिसते हैं।

  • तार को उच्च गुणवत्ता वाले मटेरियल से बनाया जाता है। यह कॉपर और कैडमियम के मिश्रण से बनता है।
  • तार और पैंटोग्राफ की तार पर टच रहने वाली कार्बन स्ट्रीप, दोनों ही बहुत मुलायम होते हैं।
  • पैंटोग्राफ में स्प्रिंग और एयर प्रेशर से उसे ऐसा बनाया जाता है, कि ऊपर से थोड़ा भी कम या अधिक दबाव पड़ने पर वह ऊपर नीचे होकर खुद को एड़जस्ट कर लेता है।
  • स्टैगर, यानी कांटेक्ट वायर की पटरी के सापेक्ष टेढ़ी-मेढ़ी (zig zag) पोजीशन के कारण तार पैंटोग्राफ पर लगातार एक ही जगह संपर्क नहीं करता। जिससे कि पैंटोग्राफ घर्षण के कारण अत्यधिक गर्म ना हो और एक ही जगह से ना घिसे।

A.T.D. का भी अहम रोल

ऑटो टेंशन डिवाइस (A.T.D.) का प्रयोग तार में से ‘सैग’ को निकालने के लिए किया जाता है। सामान्य शब्दों में बात करें तो एक पोल से दूसरे पोल के बीच काफी दूरी होने के कारण बीच में से तार नीचे की ओर लटकने लगती है, इसी को सैग कहा जाता है। इसके कारण पैंटोग्राफ के ऊपर अत्यधिक प्रेशर पड़ सकता है, इसी से बचने के लिए Auto tension device का प्रयोग किया जाता है। ऑटो टेंशन डिवाइस तार में तनाव पैदा करके उसे खींचकर रखता है। A.T.D. में चकती के जैसे वजन होते हैं। जो लगभग 415kg या 465Kg के होते हैं।

लगातार निगरानी करता है रेलवे स्टाफ

रेलवे के कार्यों में प्रयोग होने वाले सभी उपकरणों कि रेलवे के स्टाफ द्वारा लगातार निगरानी और मेंटेनेंस की जाती है। ऐसे ही किसी भी इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की एक तय समय पर या एक निर्धारित दूरी तय कर लेने के बाद अच्छी तरह जांच की जाती है। इसमें लोकोमोटिव के ऊपर लगे पैंटोग्राफ की भी जांच की जाती है और यदि पैंटोग्राफ का हेड एक तय सीमा से अधिक घिस गया हो, तो उसे बदल दिया जाता है।

रेलवे के स्टाफ द्वारा ओवरहेड इलेक्ट्रिसिटी लाइन की भी समय-समय पर अच्छी तरह जांच की जाती है और आवश्यक मेंटेनेंस किया जाता है। OHE का कांटेक्ट वायर 12.24mm डायमीटर का होता है। निर्धारित मरम्मत के समय पर इसको भी जांचा जाता है।यदि यह एक तय सीमा से अधिक घिस गया हो तो इसको बदल दिया जाता है।


0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x