UPSC के बारे में विस्तृत जानकारी

संघ लोक सेवा आयोग UPSC एक संवैधानिक संस्था है। यह एक केंद्रीय संस्था है, जो अखिल भारतीय सेवा के लिए परीक्षाओं का आयोजन कराती है। जिसमें प्रख्यात IAS, IPS और IFS सेवाएं शामिल हैं। इसके अतिरिक्त अन्य प्रकार की सेवाएं भी होती हैं। UPSC का इतिहास पुराना है, इसकी शुरुआत ब्रिटिश के समय हुई थी। यह एशिया की कठिन परीक्षाओं में से एक है।

UPSC द्वारा कराई जाने वाली भर्ती परीक्षाएं

आयोग विभिन्न सिविल रक्षा सेवाओं पदों पर नियुक्ति के लिए देशभर में स्थित विभिन्न केंद्रों पर नियमित आधार पर परीक्षाओं का आयोजन कराता है।

  1. सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा (IAS)
  2. सिविल सेवा मुख्य परीक्षा
  3. इंजीनियरिंग सेवा प्रारंभिक परीक्षा (IES)
  4. इंजीनियरिंग सेवा मुख्य परीक्षा
  5. सम्मिलित चिकित्सा सेवा परीक्षा (CMS)
  6. सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के माध्यम से भारतीय वन सेवा प्रारंभिक परीक्षा (IFS)
  7. भारतीय वन सेवा मुख्य परीक्षा
  8. सम्मिलित भू वैज्ञानिक प्रारंभिक परीक्षा (Combined Geo-Scientist Exam)
  9. सम्मिलित भू वैज्ञानिक मुख्य परीक्षा
  10. भारतीय आर्थिक सेवा /भारतीय सांख्यिकी सेवा परीक्षा (IES/ ISS)
  11. सम्मिलित रक्षा सेवा परीक्षा (CDS) (वर्ष में दो बार)
  12. राष्ट्रीय रक्षा अकादमी तथा नौसेना अकादमी परीक्षा (NDA / INA) (वर्ष में दो बार)
  13. केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल सहायक कमांडेंट परीक्षा (CAPF Asst commandent)

UPSC का इतिहास

ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए सिविल सेवाओं का नामांकन कंपनी के निर्देशकों द्वारा दिया जाता था। इसके बाद लंदन स्थित हेलीबरी कॉलेज में प्रशिक्षण के लिए भेजा था। योग्यता पर आधारित सिविल सेवा की अवधारणा 1854 ब्रिटिश संसद की प्रवर समिति की लॉर्ड मैकाले की अवधारणा पर शुरू हुई। 1854 में लंदन में सिविल सेवा आयोग की स्थापना हुई तथा परीक्षाएं 1855 में शुरू हुई। शुरू में परीक्षाएं लंदन में होती थी। इसमें उम्र की अधिकतम सीमा 23 तथा न्यूनतम 18 वर्ष थी पाठ्यक्रम का निर्धारण इस प्रकार से था जिससे यूरोपीय लोगों को फायदा हो। फिर भी रविंद्रनाथ टैगोर के भाई सत्येंद्रनाथ टैगोर ऐसे भारतीय थे, जिन्होंने 1863 में सिविल सेवा पास की।

50 वर्षों तक भारतीय भारत में भी सिविल सेवा कराने के निवेदन करते रहे लेकिन ब्रिटिश सरकार ने कोई बात नहीं मानी। प्रथम विश्व युद्ध तथा मोंटेग्यू चैंम्स फॉर्ड सुधारों के पश्चात ही इस पर सहमति बन सकी। 1922 से भारत में भी सिविल सेवा परीक्षा होने लगी। जिसका पहला केंद्र इलाहाबाद था। बाद में फेडरल सेवा आयोग स्थापित होने के बाद दिल्ली में भी परीक्षा होने लगी।

इसी तरह स्वतंत्रतापूर्व भारतीय(शाही) पुलिस के उच्च अधिकारियों की नियुक्ति सेक्रेटरी ऑफ स्टेट द्वारा प्रतियोगीता परीक्षा द्वारा की जाती थी। इस सेवा के लिए पहली खुली प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन जून 1893 में इंग्लैंड में हुआ तथा 10 श्रेष्ठ उम्मीदवारों को परिविक्षाधीन सहायक पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया गया। भारतीयों के लिए इस परीक्षा का आयोजन 1920 से किया जाने लगा। पहले इंग्लैंड में और बाद के वर्षों में भारत में परीक्षा के केंद्र बनाये गये।

वन सेवा के संबंध में भारतीय ब्रिटिश सरकार ने 1864 में शाही वन विभाग की शुरुआत की और वन विभाग के सुनियोजन हेतु 1867 में शाही वन सेवा का गठन किया।

1867 से 1885 तक चयनित उम्मीदवारों का प्रशिक्षण फ्रांस और जर्मनी में करवाया जाता था। 1905 तक उन्हें लंदन स्थित कूपर्स हिल में प्रशिक्षित किया जाता था।1920 में यह निश्चित किया गया की शाही वन सेवा के लिए आगामी भर्ती इंग्लैंड तथा भारत में सीधी भर्ती तथा भारत में प्रांतीय सेवा से पदोन्नति द्वारा की जाएगी। स्वतंत्रता के पश्चात, अखिल भारतीय सेवा अधिनियम 1951 के तहत 1961 में भारतीय वन सेवा की स्थापना की गई।

1887 में, एटचीन्सन आयोग ने नए प्रकार की पैटर्न सेवाओं का पुनर्गठन किया। यह शाही, प्रांतीय तथा अधीनस्थ तीन वर्गों में बांटा गया। शाही सेवाओं के नियंत्रण के लिए “सेक्रेटरी ऑफ स्टेट” थे। प्रांतीय सेवाओं के नियंत्रण तथा भर्ती की जिम्मेदारी प्रांतीय सरकार की थी। भारतीय अधिनियम 1919 के तहत शाही सेवाएं दो भागों में बंट गई, जिन्हें-अखिल भारतीय सेवाएं तथा केंद्रीय सेवाएं कहा गया। केंद्र सेवा से मतलब सीधा केंद्र के मामलों से था। केंद्रीय सचिवालय के अतिरिक्त अन्य महत्वपूर्ण सेवाएं थी- रेलवे सेवाएं, भारतीय डाक तथा तार सेवा तथा शाही सीमा शुल्क सेवा।

इनमें से कुछ के लिए सेक्रेटरी ऑफ स्टेट ही नियुक्तियां करते थे। परंतु ज्यादातर मामलों में इनको भारत सरकार द्वारा नियंत्रण किया जाता था।

भारत में लोक सेवा आयोग का उद्गम भारतीय संवैधानिक सुधारों पर भारत सरकार के 5 मार्च 1919 की प्रथम विज्ञप्ति में पाया जाता है। जिसमें ऐसे कार्यालय की स्थापना की बात कही गई जो सेवाओं को विनियमन का कार्यभार संभाल सके। अधिनियम की धारा 96C में भारत में लोक सेवा आयोग की स्थापना की व्यवस्था है जो “भारत में लोक सेवाओं के लिए भर्ती तथा नियंत्रण संबंधित प्रकार्यो का वहन करेगा। जो उसे परिषद में सेक्रेटरी ऑफ स्टेट द्वारा निर्देशित नियमावली के अंतर्गत सौंपे जाएंगे।

भारत सरकार अधिनियम, 1919 की धारा 96C के प्रावधानों तथा ली आयोग द्वारा लोक सेवा आयोग की जल्द स्थापना की जोरदार सिफारिश के बाद भी अक्टूबर, 1926 में लोक सेवा आयोग की स्थापना हुई। यूनाइटेड किंगडम के गृह सिविल सेवा के एक सदस्य सर रोस बर्कर इसके प्रथम अध्यक्ष बने।

भारत सरकार अधिनियम 1919 में लोक सेवा आयोग के कार्यों का विवरण नहीं था, इसलिए अधिनियम 1919 की धारा 96 (सी) की उपधारा (2) के अंतर्गत लोक सेवा आयोग (प्रकार्य) नियमावली 1926 द्वारा नियमित की गई। इसके अलावा भारत सरकार अधिनियम 1935 में फेडरेशन के लिए लोक सेवा आयोग तथा प्रांत अथवा प्रांतों के समूह के लिए प्रांतीय लोक सेवा आयोग पर विचार किया गया। इसलिए भारत सरकार अधिनियम 1935 के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल 1937 से प्रभावी होने के साथ ही लोक सेवा आयोग फेडरल लोक सेवा आयोग बन गया।

26 जनवरी 1950 भारत के पास संविधान के फार्म के साथ ही संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड 1 के आधार पर फेडरल लोक सेवा आयोग को संघ लोक सेवा आयोग के रूप में पहचाने जाने लगा।

UPSC के कार्य

  1. प्रतियोगी परीक्षा द्वारा भर्ती
  2. साक्षात्कार के माध्यम से भर्ती
  3. पदोन्नति के साथ-साथ प्रतिनियुक्ति पर स्थानांतरण द्वारा नियुक्ति के लिए अधिकारियों की उपयुक्तता के बारे में परामर्श देना।
  4. विभिन्न सेवाओं और पदों पर भर्ती पदावली से संबंधित सभी मामलों पर सरकार को सलाह देना भर्ती नियम बनाना एवं उनमें संशोधन करना।
  5. विभिन्न सिविल सेवाओं से संबंधित अनुशासनिक मामले
  6. असाधारण पेंशन कानूनी खर्चों की प्रतिपूर्ति आदि दिए जाने संबंधी विविध मामले।
  7. भारत के राष्ट्रपति द्वारा अयोग को संदर्भित किसी भी मामले में सरकार को परामर्श देना।
  8. किसी राज्य के राज्यपाल के अनुरोध पर उस राज्य की भर्ती संबंधी सभी अथवा किसी भी आवश्यकता को राष्ट्रपति के अनुमोदन से पूरा करना।

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