हाल ही में केंद्र सरकार ने ऑल इंडिया सर्विसेज (डेथ कम रिटायरमेंट बेनिफिट्स) रूल्स, 1958 में संशोधन किया है। इससे कयास लगाए जा रहे हैं की सरकार नौकरशाहों पर और सख्त हो रही है। सरकार के नये नियम के तहत अगर कोई रिटायर्ड आईएएस आईपीएस और आईअफएस अधिकारी किसी गंभीर अपराध में सजा पाए हैं या कदाचार के गंभीर मामले में दोषी पाए जाते हैं, तो केंद्र सरकार अधिकारी की पेंशन रोक या रद्द कर सकती है।
पहले अगर केंद्र सरकार को किसी व्यक्ति पर कारवाई करनी होती थी, तो उसे व्यक्ति के केडर कि राज्य सरकार से अनुमति लेनी पड़ती थी। लेकिन नए संशोधन के तहत ऐसा नहीं होगा। अब केंद्र सरकार संबंधित केडर की सरकार से अनुमति लिये बिना पेंशन को रोक अथवा रद्द कर सकती है। अगर कोर्ट ने किसी अधिकारी को गंभीर अपराध में सजा सुनाई है, तो संबंधित अधिकारी पर उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी। अगर अफसर को कोई सजा नहीं हुई है, लेकिन केंद्र सरकार मानती है की प्रथम दृष्टया अफसर गंभीर अपराध का दोषी है तो नोटिस के बाद पेंशन बंद अथवा रद्द की जा सकती है। हालांकि अफसर को सरकार के नोटिस पर अपना पक्ष रखने का अधिकार होगा लेकिन अंतिम निर्णय सरकार का ही मान्य होगा।
किन अपराधों पर हो सकती है कार्रवाई?
- किस तरह के अपराधों की वजह से पेंशन बंद होगी या रद्द होगी विस्तार से नहीं बताया गया है।
- कुछ गंभीर अपराधों का जिक्र किया गया है।
- संवेदनशील सरकारी सूचनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट 1923 के तहत आने वाले अपराध भी शामिल हैं।
- गंभीर कदाचार में उन सूचनाओं को उजागर करना शामिल है, जो भारत के सार्वजनिक हित या सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं। जैसे-आईबी, ईडी से जुड़े अधिकारी, विभाग से संबंधित ऐसी कोई भी सामग्री प्रकाशित नहीं कर सकते हैं जो भारत की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करे। ऐसा करना गंभीर कदाचार हैं।
बदलाव के पीछे सरकार का तर्क
इस बदलाव लागू करने के पीछे सरकार का तर्क है की इससे अधिकारियों का आचरण अच्छा होगा। दूसरा, कई बार केंद्र सरकार भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई करने के निर्देश देती थी, लेकिन संबंधित केडर कि राज्य सरकार से अनुमति नहीं मिल पाने के कारण दोषी अफसरों पर कार्रवाई नहीं कर पाती थी। जिससे दोषी अफसर कार्रवाई से बचे रहते थे। लेकिन अब पूरा नियंत्रण केंद्र सरकार के अधीन होने के कारण दोषी अफसर पर कार्रवाई आसानी से होगी।
इस मामले पर कई विशेषज्ञ विचार रख रहे हैं।
क्या हो सकते हैं प्रभाव ?
- यह संसोधन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मूल अधिकार, आर्टिकल 19, को प्रभावित कर सकता हैं।
- सरकारी मामलों पर उन्हें विशेषज्ञता के आधार पर विचार रखने की आजादी होनी चाहिए, जो कि इस संशोधन के तहत प्रभावित हो रही है।
- पेंशन अफसर का अधिकार है, क्योंकि पेंशन का मामला सोशल सिक्योरिटी से जुडा है। सरकार की मर्जी के आधार पर इसे रोक नहीं जा सकता है।
- यह संशोधन भारत के संघीय ढांचे को भी प्रभावित कर सकता है, क्योंकि इस संशोधन के माध्यम से राज्य सरकार के अधिकार पर अंकुश लगाया जा रहा है।
- इससे अधिकारियों में डर का माहौल बन सकता है, जिससे उन्हें निरपेक्ष कार्य करने में बाधा हो सकती है।
बाकी स्थितियां तो वक्त तय करेगा, इससे क्या फायदा होगा या नुकसान होगा लेकिन वर्तमान सरकार के अनुसार यह एक सराहनीय कदम है। जो कि जनता के हित के लिए उठाया गया है।