एक नई रिसर्च से पता चला है कि दुनिया भर के नेता आम जनता के मुकाबले ज्यादा लंबा जीवन जीते हैं। इस रिसर्च के लिए 11 देशों के 57500 से ज्यादा नेताओं का डाटा लिया गया। इसके अध्ययन के बाद यह बात सामने आयी कि दुनिया भर में नेताओं की उम्र, आम जनता की उम्र से ज्यादा है।
शोध के मुताबिक 20वीं सदी की शुरूआत तक नेताओं की मृत्यु दर सामान्य लोगों की मृत्यु दर के लगभग बराबर की थी। लेकिन समय के साथ अंतर बढ़ता जा रहा है।
11 देशों के नेताओं का डाटा लिया
यह शोध यूरोपियन जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी (European Journal of Epidemiology) में प्रकाशित किया गया है। इसके लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 11 देशों के 57500 नेताओं के डेटा का अध्ययन किया। वह देश हैं –
- ऑस्ट्रेलिया
- ऑस्ट्रिया
- कनाडा
- फ्रांस
- जर्मनी
- इटली
- नीदरलैंड
- न्यूजीलैंड
- स्विजरलैंड
- यूके
- अमेरिका
न्यूजीलैंड में किसी नेता के मुकाबले आम इंसान की मौत की संभावना 1.2 गुना ज्यादा होती है। जबकि इटली में किसी नेता के मुकाबले आम इंसान की मौत की संभावना 2.2 गुना ज्यादा होती है।
शोध में यह भी पता चला कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में औसतन ज्यादा समय तक जीवित रहती हैं। वर्तमान समय में स्विजरलैंड में आम लोगों और नेताओं के बीच जीवन प्रत्याशा का अंतर 3 वर्ष है, जबकि अमेरिका में यही अंतर 7 वर्ष का है।
नेताओं और आम इंसान की जीवन प्रत्याशा में अंतर का कारण
अध्ययन कर्ताओं ने इस बात का अनुमान लगाया गया है की सामान्य इंसान की तुलना में नेताओं में धूम्रपान की दरों में ज्यादा गिरावट आई है। बीसवीं शताब्दी के शुरुआत में कुलीन और पेशेवर लोगों में धूम्रपान की दर ज्यादा थी।
नेताओं में दिल की बीमारी की संभावना आम लोगों के मुकाबले ज्यादा होती है। पुराने समय में इसके लिए अच्छी दवाई उपलब्ध नहीं थी। लेकिन 1960-1970 के बाद से एंटी हाइपरटेंसिव दवाइयां उपलब्ध होने लगी हैं।
नेताओं और आम जनता के बीच अंतर का एक बहुत बड़ा कारण आर्थिक असमानता भी हो सकता है। नेताओं की सैलरी आम लोगों के मुकाबले ज्यादा होती है। उन्हें अच्छी मेडिकल सुविधा और जीवन यापन की अन्य सुविधाएं भी आसानी से उपलब्ध होती हैं।
नेताओं और सामान्य लोगों के इस अंतर के संदर्भ में भारत
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए इस शोध में भारत का डाटा शामिल नहीं है। लेकिन आम जनता और राजनेताओं के जीवन की बात करें, तो भारत में इनके जीवन स्तर में बहुत अंतर है। राजनेता आय और अन्य सुविधाओं के मामले में आम जनता से बहुत ज्यादा संपन्न हैं। भारत में अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं गरीब लोगों की पहुंच से दूर हैं। सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति चिंताजनक है, जबकि निजी संस्थानों में खर्च बहुत ज्यादा आता है।