केंद्र सरकार द्वारा 2004 के बाद के नियुक्त हुए कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था (OPS) को समाप्त कर नई पेंशन व्यवस्था (NPS) लागू की गई थी। ऐसा सरकार पर पड़ने वाले वित्तीय भार को कम करने के उद्देश्य से किया गया था। विभिन्न कर्मचारी संगठनों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार अब एनपीएस पर एक नया अपडेट आया है।
NPS में बदलाव संभव, तय हो सकती है न्यूनतम पेंशन
दैनिक जागरण समाचार पत्र से मिली एक खबर के अनुसार केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के लिए न्यूनतम पेंशन, अंतिम वेतन का 40-45% तक रखने पर विचार कर रही है। ऐसा हुआ तो शायद इसे पुरानी पेंशन व्यवस्था की तरह महंगाई भत्ते के साथ लिंक नहीं किया जाएगा।
गैर भाजपा सरकार वाले कई राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने की घोषणा के बाद, केंद्र सरकार पर भी पुरानी पेंशन लागू करने का दबाव बना है। देश में जल्द ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिनको देखते हुए सरकार कोई बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर सकती है। पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण के चेयरमैन ने हाल ही में कहा था कि हम एक निश्चित न्यूनतम राशि वाली पेंशन स्क्रीन पर काम कर रहे हैं और जल्द ही इसे लेकर फैसला किया जा सकता है।
अप्रैल महीने में OPS की समीक्षा के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में समिति की घोषणा की थी।
OPS और NPS
OPS यानी पुरानी पेंशन व्यवस्था के तहत सेवानिवृत्त कर्मचारी को मिलने वाली न्यूनतम पेंशन उसके अंतिम वेतन का 50% होती है। साथ ही इसे महंगाई भत्ते से भी लिंक किया जाता है। महंगाई बढ़ने के साथ यह पेंशन राशि भी बढ़ती है।
NPS नेशनल पेंशन सिस्टम के तहत कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी का 10% पेंशन फंड में योगदान देता है। साथ ही इसमें सरकार की तरफ से 14% का योगदान आता है। इस NPS की राशि को बाजार में निवेश किया जाता है। बाजार के रिटर्न के आधार पर ही कर्मचारी की पेंशन राशि निर्भर करती है।