नमस्कार दोस्तों ! आइए आज हम जानते हैं अंग्रेजों के समय की ऐसे महान व्यक्तित्व के बारे में जो बहुत ही प्रसिद्ध हुई। इनका नाम है मुथुलक्ष्मी रेड्डी (Dr. Muthulakshmi Reddy)। इनकी पहचान पहली महिला विधायक होने के साथ-साथ देश की पहली महिला हाउस सर्जन के रूप में की जाती है। कई क्षेत्रों में पहली महिला होने का रिकॉर्ड इनके नाम है। इसके साथ साथ इन्होंने महिलाओं और समाज के उत्थान के लिए कई सराहनीय कार्य किए।
जन्म, शिक्षा और विवाह
मुथुलक्ष्मी रेड्डी जी का जन्म 30 जुलाई 1886 को तमिलनाडु (जो तब मद्रास था) में हुआ था। उनके पिता का नाम एस. नारायणस्वामी था। वे चेन्नई के महाराजा कॉलेज के प्रधानाचार्य थे। इनकी मां का नाम चंद्रामल था, जो कि एक देवदासी थी। मुथुलक्ष्मी के पिता ने परंपरा से हटकर उनको स्कूल भेजा।
मैट्रिक पास करने के बाद इन्होंने महाराजा कॉलेज में प्रवेश लिया। यहां उन्हें काफी कठिनाई के बाद प्रवेश दिया गया। 1907 में उन्होंने मद्रास मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया। वह पुरुषों के कॉलेज में प्रवेश लेने वाली पहली महिला थी। यहां से उन्होंने 1912 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उनका academic रिकॉर्ड शानदार रहा। इसके बाद वह चेन्नई के सरकारी मातृत्व और नेत्र रोग अस्पताल में हाउस सर्जन बन गईं। वह सरकारी मातृत्व और नेत्र रोग अस्पताल में हाउस सर्जन बनने वाली पहली महिला थी।
डॉ मुथुलक्ष्मी रेड्डी ने अप्रैल 1914 में डॉक्टर टी. सुंदर रेड्डी से विवाह किया। इस विवाह से पहले उन्होंने अपनी एक शर्त भी रखी। उन्होंने शर्त रखी थी कि उनके पति उनका सम्मान करेंगे और उनकी सामाजिक गतिविधियों में दखल नहीं देंगे।
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राजनीति में आने की प्रेरणा
इन्हें एक बार मेडिकल ट्रेनिंग के दौरान कांग्रेस नेता सरोजिनी नायडू से मिलने का मौका मिला। इसके बाद इनकी मुलाकात एनी बेसेंट और महात्मा गांधी जी से भी हुईं। उसके बाद ही इनके मन में महिला अधिकारों के लिए लड़ने की भावना का विकास हुआ। उसके पश्चात इन्होंने राजनीति में कदम रखा।
इन्हें 1927 में मद्रास लेजिसलेटिव काउंसिल से देश की पहली महिला विधायक बनने का गौरव प्राप्त हुआ। उस समय बाल विवाह प्रथा और देवदासी प्रथा का बोलबला था। इन्होंने अपने को शिक्षित कर समाज को सुधारने का जिम्मा ठाना। डॉ रेड्डी ने उस दौर में समाज में महिलाओं के उत्थान के लिए बहुत सराहनीय योगदान दिया।
मुथुलक्ष्मी रेड्डी जी की उपलब्धियां
- स्त्री धर्म पत्रिका का संपादन किया।
- 1935 तक ऑल एशियन कॉन्फ्रेंस ऑफ वुमन की चेयरमैन रही।
- चिल्ड्रन एंड सोसाइटी की पहली एक्टिव सेक्रेटरी और ऑर्गेनाइजर रही।
- 1918 ब्रिटिश उपनिवेश के समय वूमेंस एसोसिएशन की संस्थापक सदस्य थी।
- 1926 में पेरिस में इंटरनेशनल कांग्रेस ऑफ वूमेन भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में सहभाग किया।
- वायसराय ने सर फिलिप हार्टोग एजुकेशन कमीशन में मनोनीत किया, जो भारत और बर्मा शैक्षणिक प्रोजेक्ट की समीक्षा से संबंधित था।
- 1954 में “अडयार कैंसर इंस्टीट्यूट” समाज के लिए बनवा कर इन्होंने समाज को वरदान दिया। आज यहां साल भर में 80,000 से अधिक कैंसर मरीजों का इलाज होता है।
सरकार के द्वारा उनके लिए किए गए काम
- 1956 में समाज के लिए किए गए कार्यों के लिए इन्हें पदम भूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया।
- तमिलनाडु सरकार ने इनकी याद में हर वर्ष 30 जुलाई को ‘हॉस्पिटल डे (Hospital Day)‘ मनाने का निर्णय लिया है।
मुथुलक्ष्मी के बारे में लिखी गई पुस्तकें
- ए पायनियर वुमन लेजिस्लेटर उनकी आत्मकथा है, जो 1964 में प्रकाशित हुई थी। जिसमें उन्होंने अपने बारे में काफी कुछ बताया है।
- माय एक्सपीरियंस एज ऐ लेजिस्लेटर में उन्होंने अपने अनुभवों और कार्यप्रणाली के बारे में बताया है।
22 जुलाई 1968 में 81 वर्ष की आयु में डॉ मुथुलक्ष्मी रेड्डी का चेन्नई में निधन हो गया।