विपश्यना साधना की संपूर्ण जानकारी | Vipassana meditation Details

योग साधना के तीन मार्ग प्रचलित हैं – विपश्यना, भावातीत ध्यान और हठयोग। आज के इस पोस्ट में हम विपश्यना या विपस्सना (Vipassana in English) के बारे में विस्तार से जानेंगे। इन सभी सवालों के जवाब खोजेंगे की विपश्यना क्या है? विपश्यना केंद्र कहां हैं? विपश्यना कैसे की जाती है? विपश्यना शिविर और उनमें आवेदन कैसे करें? विपश्यना की दिनचर्या और नियम क्या हैं?

विपश्यना क्या है? | What is Vipassana?

विपश्यना का अर्थ है – विशेष प्रकार से देखना। जो जैसा है, उसे ठीक वैसा ही देखना और समझना विपश्यना (vipassana) है। यह आत्मनिरीक्षण द्वारा आत्मशुद्धि के लिए एक प्राचीन माइंडफूलनेस मेडिटेशन (meditation) तकनीक है। इसमें मन और शरीर के अंगों के बीच गहरे संबंध पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

विपश्यना भारत की अति प्राचीन तकनीक है जिसे महात्मा बुद्ध जी ने 2600 वर्ष पूर्व पुनः अनुसंधान करके सर्व सुलभ बनाया ।

वर्तमान भारत में विपश्यना के पुनर्जागरण का श्रेय श्री सत्यनारायण गोयन्का जी को जाता है। एस. एन. गोयन्का जी का जन्म म्यांमार में हुआ था। वहीं रहते हुए उन्होंने ‘सयाजी उ बा खिन’ से विपश्यना का प्रशिक्षण प्राप्त किया। चौदह वर्षों तक अपने गुरूदेव से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद, श्री गोयन्का जी भारत आये और उन्होंने विपश्यना सिखाना शुरू किया। उनके मार्गदर्शन में भारत ही नहीं अन्य बहुत से देशों में विपश्यना शिविर आयोजित किए गए और ध्यान केन्द्र स्थापित किए गए।

विपश्यना साधना के लाभ

  • विपश्यना (Vipassana) के अभ्यास द्वारा हम अधिक सजग, सचेत, संयमित और शांतिपूर्ण बनते हैं।
  • हम जीवन के उतार चढ़ाव और हर तरह की स्थिति में संयमित रहना सीखते हैं।
  • यह किसी बीमारी का इलाज नहीं है, लेकिन इसके अभ्यास से मानसिक तनाव को नियंत्रित किया जा सकता है। इसका अभ्यास करने वालों की मानें तो इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  • यह हमारी एकाग्रता शक्ति और कार्यक्षमता बढ़ाने में मदद करती है।

विपश्यना कैसे की जाती है?

Meditation – representative image

विपस्सना मेडिटेशन के उचित लाभ के लिए हमें यह साधना किसी आचार्य की देखरेख में ही करनी चाहिए। शुरुआती साधकों के लिए यह एक कठिन साधना है। श्री सत्यनारायण गोयन्का जी के प्रयासों से भारत में और भारत के बाहर भी बहुत से आवासीय विपश्यना केंद्र खुले हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि इन केंद्रों पर विपश्यना साधना बिल्कुल फ्री है। यहां साधना करने, रहने और खाने के लिए किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता।

इन विपश्यना केन्द्रों पर अलग-अलग अवधि के कोर्स कराए जाते हैं। साधकों को कम से कम 10 दिन कि साधना का विकल्प मिलता है। सभी शिविर एक दिन पहले शाम को शुरू होते हैं और 11 वे दिन सुबह समाप्त हो जाते हैं। बच्चों और किशोरों के लिए कम समय की साधना का विकल्प भी है।

विपश्यना शिविर में 10 दिन की साधना के नियम, दिनचर्या, 10 दिन तक क्या-क्या कराया जाता है, विपश्यना सेंटर और आवेदन की प्रक्रिया की जानकारी हम नीचे दे रहे हैं।

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विपश्यना केन्द्र के अनुशासन संबंधी नियम

शिविरार्थी को पूरे 10 दिनों तक शिविर में ही रहना होगा। बीच में शिविर छोड़ कर नहीं जा सकते। नीचे दिए गए अनुशासन संबंधी नियमों का पालन करना होता है।

  • साधक अपने साथ कोई इलेक्ट्रॉनिक आइटम, मोबाइल फोन, कागज, पेन इत्यादि लेकर नहीं जा सकते। लेकर जाते हैं तो उन्हें कोर्स अवधि पूरी होने तक वहां जमा करा लिया जाता है।
  • आर्य मौन – हर एक व्यक्ति अपने आप को अकेला समझकर एकांत साधना में लीन रहे। आपको किसी से भी किसी भी माध्यम से कोई बातचीत नहीं करनी होती। ना बोलकर, ना लिखकर और ना ही इशारों से। केवल आवश्यक होने पर आचार्यों से बात करने की छूट है।
  • विपश्यना के साथ किसी अन्य साधना विधि का मिश्रण करने से हम इसके पूर्ण लाभ का अनुभव नहीं कर सकते। इसलिए विपश्यना के दौरान 10 दिन तक अन्य किसी भी तरह से कोई पूजा-पाठ, माला-जाप, उपवास, भजन-कीर्तन आदि ना करें।
  • शिविर की पूरी अवधि के दौरान पुरुषों और महिलाओं को अलग अलग रहना होता है। यह नियम पति-पत्नी, सहयोगी, मित्र और पारिवारिक सदस्यों सभी पर समान रूप से लागू है।
  • शिविर में पढ़ना, लिखना, संगीत सुनना या कोई वाद्ययंत्र बजाना मना है। साधक साथ में पुस्तक आदि न लेकर जाएं।
  • शील – विपश्यना शिविर में साधकों को 5 शिलों का पालन करना पड़ता है, जो हैं-
    • अहिंसा – इन 10 दिनों तक आप कोई जीव हत्या नहीं करेंगे। आपको मच्छर तक नहीं मारना है।
    • सत्य – आपको कोई झूठ नहीं बोलना है।
    • अस्ते‌य – 10 दिन तक आप किसी भी तरह की कोई चोरी नहीं करेंगे।
    • ब्रह्मचर्य – 10 दिन तक विपरीत लिंग (opposite sex), मैथुन आदि से दूरी बनाकर रखेंगे।
    • 10 दिन तक किसी प्रकार का कोई नशा नहीं करना है।

इस बात का पूरा ख्याल रखना होता है कि अन्य साधकों को आपकी वजह से किसी तरह की परेशानी ना हो, और यदि आपको अन्य साधकों की वजह से परेशानी हो रही हो तो उस पर ध्यान नहीं देना।

विपश्यना मेडिटेशन केन्द्र या शिविर में दिनचर्या

धम्मा हॉल में सामूहिक साधना
  • 4:00AM – सुबह जगना‌
  • 4:30 से 6:30 AM – हाॅल में या निवास स्थान पर ध्यान
  • 6:30 से 7:15 AM – नाश्ता
  • 7:15 से 8:00 AM – विश्राम
  • 8:00 से 9:00 AM – ध्यान कक्ष में सामूहिक मेडिटेशन
  • 9:00 से 11:00 AM – आचार्य की सूचना अनुसार हाॅल में या निवास स्थान पर साधना
  • 11:00am से दोपहर 12:00 – भोजन (लंच)
  • 12:00 से 1:00 PM – विश्राम और आचार्यों से प्रश्नोत्तर
  • 1:00 से 2:30 PM – हॉल अथवा निवास स्थान में मेडिटेशन
  • 2:30 से 3:30 PM – हाॅल में सामूहिक मेडिटेशन
  • 3:30 से 5:00 PM – आचार्य की सूचना अनुसार हाॅल में या निवास स्थान पर साधना
  • 5:00 से 6:00 PM – चाय/ जलपान और विश्राम
  • 6:00 से 7:00 PM – हाॅल में सामूहिक साधना
  • 7:00 से 8: 15 PM – S.N. Goyenka जी का वीडियो प्रवचन
  • 8:15 से 9:00 PM – हाॅल में सामूहिक मेडिटेशन
  • 9:00 से 9:30 PM – हाॅल में प्रश्नोत्तर
  • 9:30 PM – लाइट बंद करके सो जाना

कोई भी अतिरिक्त काम जैसे नहाना, कपड़े धोना आदि विश्राम के समय में किया जाता है। विपश्यना केंद्र के अनुशासन संबंधी नियमों का पालन करना होता है।

विपश्यना के 10 दिन में क्या क्या होता है?

सभी विपश्यना केन्द्र और शिविर दिनचर्या के अनुसार चलते हैं। इनकी दैनिक दिनचर्या में लगभग 10 घंटे ध्यान लगाने का समय होता है। इस दौरान बीच-बीच में पर्याप्त अवकाश/ विश्राम का समय दिया जाता है।

पहला दिन = अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। सिर्फ स्वभाविक सांस पर ध्यान लगाना होता है और इसपर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं करना होता। इसे आनापाना साधना कहते हैं।

दूसरा दिन = दूसरे दिन भी आनापाना साधना की जाती है। साथ ही यह ध्यान लगाना होता है कि सांस नाक के किस सुर (दाएं, बायें या दोनों) से आ रही है।

तीसरा दिन = तीसरे दिन भी सांस पर ही ध्यान केंद्रित करना होता है। साथ ही संपूर्ण नाक में होने वाली संवेदना पर ध्यान देना होता है।

चौथा दिन = आनापाना साधना की जाती है और अपने नाक के ठीक नीचे वाली छोटी सी जगह पर ध्यान केंद्रित करना होता है।

पांचवा दिन = अपने पूरे शरीर के प्रत्येक अंग कि अपने मन से यात्रा करना और उसमें होने वाली संवेदनाओं पर ध्यान देना। (विपश्यना साधना)

छठा दिन = अपने शरीर के सभी अंगों की एक-एक करके मानसिक यात्रा करना और उसमें होने वाली संवेदनाओं पर ध्यान देना।

सातवां दिन = सिर से लेकर पैर तक और पैर से लेकर सिर तक शरीर के सभी अंगों से मन गुजारना व उसमें होने वाली संवेदनाओं पर ध्यान देना।

आठवां दिन = अपने शरीर के कई अंगों की एक साथ यात्रा करना और उनमें होने वाली संवेदनाओं पर ध्यान देना।

नौवां दिन = अपने शरीर के सभी अंगों में एक साथ एक जैसी संवेदना के प्रवाह का अनुभव करना।

दसवां दिन = शरीर के आंतरिक अंगों की संवेदनाओं का अनुभव करना, अपनी रीढ़ की हड्डी की मानसिक यात्रा करना और संवेदनाओं का ध्यान करना।

शिविर के दसवें दिन मौन खुल जाता है और गंभीर साधना समाप्त हो जाती है। यह साधकों के लिए शिविर के बाद सामान्य जीवन में वापस जाने के लिए एक परिवर्तन दिवस होता है। साधक को इस शिविर छोड़कर दिन जाने की अनुमति नहीं दी जाती।

विपश्यना के लिए आवेदन (Application)

  • सभी विपस्सना मेडिटेशन केंद्रों की अपनी अपनी वेबसाइट है।
  • किसी भी सेंटर पर विपश्यना साधना के लिए आवेदन करने हेतु उसकी वेबसाइट पर जाएं।
  • वहां पर शिविर के लिए आवेदन का विकल्प मिलेगा।
  • अपना आवेदन पत्र पूर्ण रूप से भरकर सबमिट करें।
  • ऑनलाइन आवेदन में आपके द्वारा दी गई Email ID पर आपका आवेदन स्वीकार होने की सूचना मिलेगी।
  • आपकी ईमेल आईडी पर ही आपकी सीट कंफर्म की जाएगी।
  • जिसमें एक letter attached होगा, इस letter का print लेकर आपको निश्चित तारीख पर विपश्यना मेडीटेसन सेन्टर पहुँचना है।

हमने नीचे विपश्यना केंद्रों के बारे में बताया है। वहीं पर हमने विपश्यना केन्द्रों की जानकारी के लिए लिंक दिया है। आप इस लिंक से जान सकते हैं कि कहां-कहां पर विपश्यना मेडिटेशन सेंटर हैं, वहीं से आपको उनकी वेबसाइट भी मिल जाएगी।

विपश्यना साधना केन्द्र | Vipassana centers

Vipassana center, Jaipur

विपश्यना मेडिटेशन के लिए दुनिया भर में अस्थाई शिविरों के अलावा कुल 232 स्थाई केंद्र हैं। इनमें से 106 केंद्र भारत में हैं। भारत के विभिन्न राज्यों में बहुत से स्थाई केंद्र बनाए गए हैं। इनके अलावा अस्थाई शिविरों में भी विपस्सना मेडिटेशन कराई जाती है। इन साधना केंद्रों की सूची देखने के लिए आप ऑफिशियल वेबसाइट पर जा सकते हैं।

विपश्यना का शुल्क | Fee for Vipassana

विपश्यना (विपस्सना) मेडिटेशन के किसी भी केंद्र या शिविर में किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जाता। रहने और खाने का भी कोई शुल्क नहीं लिया जाता। परंपरा के अनुसार साधना शिविरों का खर्च इस साधना से लाभान्वित साधकों के दान से चलता है। यहां दान भी केवल उन्हीं से स्वीकार किया जाता है, जिन्होंने कम से कम एक 10 दिवसीय शिविर पूरा किया हो। साधक अपनी श्रद्धा एवं शक्ति अनुसार दान दे सकते हैं।

शिविर के आचार्यों तथा सेवकों को भी कोई वेतन नहीं दिया जाता।


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